दिमागी गड़बड़ी की जानकारी देता है EEG टेस्ट, जानिए पूरी डिटेल्स

इलेक्ट्रो एन्सेफेलोग्राम (ईईजी) टैस्ट दिमाग की विद्युतीय तरंगों और इस अंग से जुड़ी बीमारियों को जानने के लिए करते हैं। ये तरंगे चार तरह (अल्फा, बीटा, डेल्टा और थीटा) की अलग-अलग फ्रीक्वेंसी की होती हैं। इन फ्रीक्वेंसी पर मरीज की अवस्था को देखते हुए निश्चित माइक्रोबोल्ट वॉल्टेज का करंट दिया जाता है जिससे उसे किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता।
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कब जरूरत
इस टेस्ट का प्रयोग व्यवहार में बदलाव, सिर पर लगी चोट, अनिद्रा, मिर्गी, दिमाग में इंफेक्शन, ब्रेन ट्यूमर, याद्दाश्त में कमी, स्ट्रोक का पता करने के लिए करते हैं।
ऐसे होता है टेस्ट
टेक्नीशियन सिर के अलग-अलग हिस्सों पर इलेक्ट्रोड्स को चॉक, मिट्टी या अन्य से तैयार पेस्ट से चिपकाते हैं। ये इलेक्ट्रोड्स एक हैड बॉक्स (एम्प्लीफायर) से जुड़े होते हैं जहां दिमाग की हर हरकत रिकॉर्ड होती है। इसमें एक सॉफ्टवेयर की मदद से दिमाग की जानकारी मिलती है। इस हैड बॉक्स को कम्प्यूटर से कनेक्ट कर देते हैं। जिस पर तरंगों को देख सकते हैं। मरीज को पहले आंखें बंद कर शरीर को ढीला छोडऩे फिर आंखें खोलने व बाद में लंबी सांस लेने के लिए कहा जाता है। इस दौरान कम्प्यूटर स्क्रीन पर तरंगों का स्तर ज्यादा या कम होने पर रोग की पुष्टि होती है।
टेस्ट से पहले
ईईजी से एक दिन पहले दवा, नशे वाली चीजें या कैफीन युक्त पदार्थ न लेने व मरीज को पूरी नींद लेकर आने की सलाह दी जाती है।
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