कोरोना काल में गंभीर रोगों से बचना चाहते हैं तो 'खाने का समय' तय कीजिए

कोरोना (Covid-19) के इस दौर में हमारा रुटीन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। एक शोध में सामने आया कि लॉकडाउन (Lock Down), वर्क फ्रॉम होम (Work from Home) और महामारी के कारण डिस्टर्ब हुई लाइफ स्टाइल (Life in Corona Pandemic) ने हमें आलसी और बेवजह खाने का आदी बना दिया है। दरअसल, हमारे खान-पान की आदतों का जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों से गहरा संबंध है। हम क्या खा रहे हैं, क्यों और कितना खा रहे हैं, कब खा रहे हैं और सबसे जरूरी कि कैसे खा रहे हैं, यह निर्धारित करते हैं कि हमारे शरीर में फैट, कैलोरी, कॉलेस्ट्रॉल, हाइ ब्लड शुगर और वजन बढ़ेगा या नहीं। हाल ही एक अध्ययन में सामने आया कि जो लोग देर रात को खाना खाते हैं उनमें अन्य लोगों की तुलना में वजन बढऩे या मोटापे की समस्या का खतरा ज्यादा होता है। यानी खाने का समय बहुत महत्त्वपूर्ण है। रात का खाना शाम 6 बजे के बजाय 10 बजे खाने से आपके ब्लड शुगर और फैट को बर्न करने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है।

घट जाती है फैट बर्न की क्षमता
अध्ययन में यह भी पाया गया कि देर से खाने वालों का ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) लगभग 20 प्रतिशत अधिक था और रात का खाना जल्दी खाने वालों की तुलना में फैट बर्न (Fat Burn) की क्षमता भी 10 प्रतिशत कम हो गई। असल में वजन बढऩे की समस्या शरीर द्वारा खर्च की जा रही कैलोरी से अधिक कैलोरी खाने के कारण होता है। पोषण विशेषज्ञ कहते हैं कि कैलोरी नियंत्रण कर लेने से वजन बढऩे की समस्या पर काबू पाया जा सकता है। लेकिन यह उतना सरल नहीं है। नए शोध से पता चलता है कि हम जिस समय भोजन करते हैं वह वजन के बढऩे या स्थिर बने रहने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

ब्लड शुगर का स्तर भी बढ़ता
एंडोक्राइन सोसाइटी के जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंडोक्राइनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, रात में खाना वजन बढ़ाने और उच्च रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ाता है, भले ही यह रोज खाया जाने वाला सामान्य भोजन ही क्यों न हो। अध्ययन के लेखक और जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय में चिकित्सा के प्रोफेसर डॉ. जोनाथन सी. जुन का कहना है कि देर से खाना मोटापे से जुड़ा हुआ है। जुन ने बताया कि उनकी शोध टीम यह समझना चाहती थी कि क्या देर से खाना वास्तव में चयापचय को बदल देता है जो अंतत: मोटापे को बढ़ावा देता है।

हर व्यक्ति का अलग डाइट रिजीम
इस अध्ययन की सबसे दिलचस्प बात यह है कि शोधकर्ताओं ने पाया कि हर कोई एक ही तरह से देर से भोजन करने पर प्रतिक्रिया नहीं करता है। अध्ययन में शामिल जिन लोगों को जल्दी सोने की आदत थी उनमें देर से खाना खाने की आदत ने अलग प्रतिक्रिया दिखाई। ऐसे लोगों को देर से खाना खिलाने पर शरीर पर उसके प्रतिकूल परिणाम नजर आए। वहीं जो लोग देर रात 2 से 3 बजे तक जगने और भूख लगने पर खा रहे थे उनके भोजन में परिवर्तन करने पर भी कोई खास असर नजर नहीं आया। इससे यह स्पष्ट हो गया कि हर एक व्यक्ति के चयापचय में ऐसे अंतर हैं जो या तो उन्हें देर से खाने के प्रति अधिक संवेदनशील बनाते हैं या इसका उन पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता है। जुन ने बताया कि अध्ययन बताता है कि यह कतई जरूरी नहीं है कि आप जो खाते हैं वह वजन बढ़ाने का कारण बन सकता है। हालांकि इससे यह जरूर स्पष्ट होता है कि खाने की आदतों जैसे कि भोजन सामग्री और मात्रा ही नहीं बल्कि भोजन का समय भी मधुमेह (Diabetes) और हृदय रोग (Heart Problem) जैसे क्रॉनिकल रोगों (Chronical Desese) के जोखिम को कम कर सकता है।

ऐसे सुधारें खाने की खराब आदतें
शोध के अनुसार व्यस्त लोग आमतौर पर नाश्ते और दोपहर के भोजन समय पर या बिल्कुल नहीं कर पाते। जिसका अर्थ है कि उन्हें बाद में खाने की जरुरत पड़ती है। यही वजह है कि लोग रात को भरपेट भोजन करते हैं और यही गलती उनके लिए ग्लूकोज या वसा चयापचय के साथ मोटापे या वजन बढऩे का कारण बनती है। इसके लिए कुछ उपाय कर सकते हें। जैसे अगर आप अक्सर ऑफिस से देर शाम या रात तक लौटते हैं तो लंच में या शाम को स्नैक्स की बताय ग्रीक योगर्ट जैसे छोटे लेकिन उच्च प्रोटीन स्नैक लेें। रात को भूख से कम खाएं। ताकि अगर रात को खाना पड़े तो यह नाश्ते के बराबर ही हो। इसके अलावा अन्य विकल्पों में ग्रिल्ड चिकन, आधा सैंडविच और फल या एक कप वेजीटेबल सूप और एक गिलास लो फैट मिल्क के साथ एक छोटा सलाद हो सकता है।

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