भारत की आधी महिला आबादी पर्याप्त व्यायाम नहीं करतीं-लैन्सेंट रिपोर्ट

भारतीय महिलाएं शारीरिक रूप से उतनी सक्रिय (Less Physical Activities) नहीं हैं जितना कि उन्हें होना चाहिए यही वजह है कि उनमें लाइफ स्टाइल (Life Style) से उपजे रोग ज्यादा हो रहे हैं। यह कहना है हाल ही जारी हुई 'लांसेट ग्लोबल हेल्थ जर्नल' में प्रकाशित अध्ययन का। शोध में बताया गया है कि 34 फीसदी भारतीय स्वस्थ रहने के लिए पर्याप्त व्यायाम नहीं करते हैं। वहीं इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि 44 फीसदी भारतीय महिलाएं भी सरकार द्वारा तय स्वास्थ्य दिशानिर्देशों(Guidelines ) के बराबर भी पर्याप्त व्यायाम नहीं करती हैं। यह भारत की महिला आबादी का लगभग आधा हिस्सा है।

महिलाओं में व्यायाम और शारीरिक गतिविधियों की की निम्न दर
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, ऐसे बहुत से कारण हैं जो भारत और दुनिया भर के कई अन्य देशों में पुरुषों की तुलना में महिलाओं के शारीरिक रूप से कम सक्रिय होने में भागीदार हैं। इनमें प्रमुख हैं-
- महिलाओं की कम आय जिसके चलते जिम, योग और मेडिटेशन सेंटर्स तक उनकी कम पहुंच है
-सामाजिक और पारिवारिक अपेक्षाएं जो जिम, जुम्बा, एरोबिक्स और पॉवर योगा जैसी कुछ खास शारीरिक गतिविधियों में भाग लेने पर महिलाओं के लिए प्रतिबंधात्मक हो सकती हैं
-परिवार की देखभाल और अन्य कामों की जिम्मेदारी के कारण महिलाओं को पुरुषों की तुलना में सप्ताह में 7 घंटे कम समय मिल पाता है

डब्ल्यूएचओ के तय स्वास्थ्य मानक
डब्ल्यूएचओ के अनुसारए स्वस्थ वयस्कों को हर सप्ताह कम से कम एक घंटे 15 मिनट की उच्च-तीव्रता (High-Intensity Activities) वाली गतिविधियां या 2.5 घंटे की मध्यम-तीव्रता (Moderate-Intensity Activity) वाली गतिविधि में हिस्सा लेना चाहिए।

व्यायाम न करने के जोखिम
हाल के सालों में हुए नए शोधों के आंकड़े बताते हैं कि दुनिया भर में 6 फीसदी मौतों का कारण एक व्यायाम रहित, निष्क्रिय और सुस्त जीवनशैली है। जॉन हॉपकिंस मेडिसिन (John Hopkins Medicine) द्वारा प्रकाशित एक अन्य लेख से पता चला है कि शारीरिक निष्क्रियता के कारण स्वास्थ्य संबंधी निम्न जोखिम बढ़ जाते हैं-
-कैंसर
-चिंता और अवसाद
-हृदय संबंधी रोग
-हृदय धमनी से जुड़े रोग
-मोटापा
-उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर में वृद्धि

शारीरिक निष्क्रियता को ऐसे करें दूर
इतने गंभीर रोगों के जोखिम के बावजूद अच्छी खबर यह है कि हम इस अस्वस्थ और निष्क्रिय जीवन शैली को आसानी से बदल सकते हैं। भले ही हमारा ऑफिस कल्चर और कार्यशैली और ज्यादा गतिहीन प्रवृत्ति की ओर बढ़ रही है, लेकिन असके बावजूद हम व्यायाम कर सकते हैं और लगातार सक्रिय रह सकते हैं। बस हमें इन बहानों से दूरी बनानी होगी-
-समय की कमी का रोना
-अपनी दिनचर्या में शारीरिक गतिविधियों को शामिल करें। उदाहरण के लिए, निजी वाहन की बजाय बस से जाएं या साइकिल का उपयोग करें
-लिफ्ट की बजाय सीढिय़ों का प्रयोग करें
-काम के दौरान हर घंटे पर वॉक ब्रेक लें
-अपनी कार या बाइक को दूर पार्क करें ताकि इसी बहाने आप थोड़ा चल-फिर सकें

-ऐसे व्यायाम चुनें जिन्हें घर या कार्यालय जैसे सुविधाजनक स्थानों में आसानी से कर सकें
-ऐसी गतिविधियां चुनें जिनमें बेवजह पैसे न खर्च हों, जैसे व्यायाम उपकरण लेने से बचें
-ऐसे फिटनेस गोल तय कीजिए जिन्हें आप आसानी से पूरे कर सकें
-ऐसी शारीरिक गतिविधियां तलाशें जिन्हें करने में आपको आनंद आता हो
-पेडोमीटर जैसे फिटनेस ट्रेसिंग उपकरण खरीदें, जो हमारे प्रतिदिन पैदल चलने के दौरान कदमों की गिनती करता है
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