स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का दावा, अब 37 डिग्री सेल्सियस नहीं रह गया शरीर का तापमान

लेकिन हाल ही में हुए स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय (Stanford University) के स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिकों के एक दल के अध्ययन में सामने आया कि एक औसत अमरीकी व्यक्ति के शरीर का तापमान पिछली एक शताब्दी में कम हो गया है। विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य रिकॉर्डों का गहन विश्लेषण करने के बाद शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष निकाला है कि 19वीं सदी की तुलना में एक औसत अमरीकी पुरुष के शरीर का तापमान लगभग 0.03 डिग्री सेल्सियस (0.58 फॉर्नहाइट) और महिला का 0.6 डिग्री सेल्सियस (1.06 फॉर्नहाइट) कम है। यह भी अनुमान है कि बीती सदियों में इंसानी शरीर पहले की अपेक्षाकृत अब ज्यादा सर्द रहने लगा है।

ऐसे पहुंचे निष्कर्ष पर
हाल के अध्ययनों से पता चला है कि सामूहिक रूप से लोगों में तय नियमों से कम तापमान देखने को मिल रहा है। इसलिए स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की एमडी जूली पार्सनेट ने शरीर के तापमान के रुझान की पहचान करने के लिए ऐतिहासिक रेकॉर्ड के साथ आधुनिक मापों की तुलना करने के लिए ज्यादा गहराई से पड़ताल की कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है। शोध टीम ने तीन ऐतिहासिक अवधियों से तीन अलग-अलग डेटासेट देखे। एक सैन्य सेवा रेकॉर्ड, मेडिकल रेकॉर्ड और अमरीकी नागरिक युद्ध के केंद्रीय सेना के दिग्गजों के पेंशन रेकॉर्ड थे जो 1862 से 1930 तक संकलित किए गए थे। दूसरा अमेरिकी राष्ट्रीय स्वास्थ्य और पोषण परीक्षा सर्वेक्षण से था जिसे 1971 से 1975 के बीच एकत्र किया गया था। इसी क्रम में तीसरा 2007 से 2017 तक स्टैनफोर्ड हैल्थ केयर जाने वाले वयस्क रोगियों का डेटा था। टीम ने कुल 677,423 तापमान माप के डेटा का विश्लेषण किया।

21वीं सदी में कम हुआ तापमान
अंत में टीम इस नतीजे पर पहुंची कि 21वीं सदी में पैदा हुए पुरुषों के शरीर का औसत तापमान 1.06 डिग्री सेल्सियस था जो 19 वीं सदी की शुरुआत में पैदा हुए लोगों की तुलना में कम था। जबकि आधुनिक महिलाओं में औसतन 0.03 डिग्री सेल्सियस की कमी देखी गई जो 1890 में पैदा हुई महिलाओं की तुलना में कम था। यानि प्रत्येक दशक में अमरीकी लोगों में 0.05 डिग्री फार्नहाइट या 0.03 डिग्री सेल्सियस तापमान गिर गया है। हालांकि यह कोई जोखिम की बात नहीं है। शोधकर्ताओं का मानना है कि इसकी सबसे अधिक आशंका तंत्र पर्यावरणीय कारकों के कारण मानव चयापचय दर में कमी होना भी हो सकती है। एक अनुमान यह भी है कि 200 वर्षों में सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार से सूजन की घटनाओं में कमी आई है, जो चयापचय को बढ़ाती है। एक कारण यह भी है कि आज लोग अधिक स्थिर वातावरण में ज्यादा आरामदायक जीवन जीने लगे हैं। दूसरे शब्दों में अब शरीर को गर्म रखने के लिए कड़ी मेहनत करने की ज़रूरत नहीं है, इसलिए औसत तापमान गिर गया है।
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